भारत की विदेश नीति वर्तमान में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। एक ओर, अमेरिका और रूस जैसे प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के गहरे रणनीतिक और आर्थिक संबंध हैं, तो दूसरी ओर, कनाडा के साथ हाल ही में संबंधों में गंभीर खटास आई है। भारत अब अपनी स्वतंत्र और बहुपक्षीय नीति को बनाए रखते हुए रूस, चीन, और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है। BRICS के माध्यम से भी भारत अपनी वैश्विक भूमिका को सशक्त कर रहा है, जिससे उसे एक नई ताकत और पहचान मिल रही है।
अमेरिका और कनाडा का भारत पर प्रभाव
अमेरिका के साथ भारत के संबंध हाल के वर्षों में गहराए हैं, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के संदर्भ में। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023 में $191 बिलियन तक पहुँच गया है, जो भारत को एक प्रमुख आर्थिक और तकनीकी साझेदार बनाता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए अमेरिका भारत को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है और इसके लिए क्वाड (QUAD) जैसे गठबंधन का भी सहारा लिया गया है। इस गठबंधन का उद्देश्य हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को नियंत्रित करना है।
कनाडा के साथ संबंधों में हालिया विवाद ने तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के संबंधों में खटास ला दी है। ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारतीय खुफिया एजेंसियों का निज्जर की हत्या में हाथ था। भारत ने इन आरोपों को “असत्य और राजनैतिक लाभ के लिए किए गए” बताते हुए पूरी तरह से खारिज कर दिया। इस विवाद के बाद भारत ने कुछ कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं पर भी विराम लगा दिया। वर्तमान स्थिति में भारत और कनाडा के बीच संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं, जिससे व्यापार, शिक्षा, और प्रवासी संबंध भी प्रभावित हो रहे हैं।
रूस और चीन का भारत पर प्रभाव
रूस और चीन के साथ भारत का रिश्ता ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से गहरा है। रूस भारत का मुख्य रक्षा आपूर्तिकर्ता है, जिससे भारत अपनी 60% से अधिक सैन्य आवश्यकताएँ पूरी करता है। इसके अलावा, रूस-भारत की ब्रह्मोस जैसी संयुक्त रक्षा परियोजनाएं भारत की सामरिक स्वायत्तता को सुदृढ़ बनाती हैं।
हाल ही में, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर वार्ताएं प्रारंभ हुई हैं, जो विवाद समाधान की दिशा में सकारात्मक संकेत हैं। सीमा पर तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच $125 बिलियन का व्यापारिक संबंध है। भारत ने चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहल शुरू की है, जिससे अन्य स्रोतों से आयात का विकल्प बनाया जा सके।
रूस और चीन का भारत के प्रति दृष्टिकोण भिन्न है। रूस भारत को एक दीर्घकालिक साझेदार के रूप में देखता है, जबकि चीन उसे एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में देखता है। यह विविध दृष्टिकोण भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों को संतुलित करने में मदद करता है।
वर्तमान भारत-कनाडा स्थिति: निज्जर हत्या और राजनयिक विवाद का प्रभाव
सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय खुफिया एजेंसियों पर कनाडा में रह रहे खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया। भारत ने इन आरोपों को “असत्य” बताते हुए खारिज कर दिया। इस घटना के बाद, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है।
कनाडा में एक बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है, जिनमें पंजाबी सिखों की संख्या प्रमुख है। कनाडा की राजनीति में सिख समुदाय का विशेष प्रभाव है, और इसके कारण कनाडा की सरकार खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर पूर्ण रूप से नियंत्रण करने से बचती रही है। इस विवाद के बाद, भारत ने कनाडा के साथ अपने व्यापार और अन्य कूटनीतिक संबंधों को पुनः विचार करने का संकेत दिया है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए हैं।
BRICS: भारत का भविष्य?
BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) भारत के लिए एक ऐसा बहुपक्षीय मंच है, जिसके माध्यम से वह पश्चिमी प्रभुत्व का संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। BRICS देशों की संयुक्त GDP वर्तमान में वैश्विक GDP का लगभग 31% है। भारत BRICS के माध्यम से अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर एक नए वैश्विक शक्ति संतुलन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
BRICS का हालिया विस्तार, जिसमें अर्जेंटीना, इथियोपिया, मिस्र, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों को शामिल किया गया है, भारत को ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता की दिशा में और अधिक अवसर प्रदान करता है। यह भारत को अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाने और वैश्विक मंच पर स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर देता है।
विश्व मीडिया का मोदी और भारतीय सरकार पर दृष्टिकोण
वैश्विक मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सरकार के प्रति मिले-जुले विचार हैं। कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों का मानना है कि मोदी सरकार ने भारत को वैश्विक आर्थिक और कूटनीतिक मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत को जी20 जैसे मंचों पर सक्रियता से नेतृत्व करते हुए देखा गया है, जहाँ उसे विकासशील देशों के हितों के प्रवक्ता के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा, द वॉल स्ट्रीट जर्नल और फॉरेन अफेयर्स जैसे प्रकाशनों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज़ी से उभरती हुई स्थिति और स्टार्टअप इकोसिस्टम की प्रगति पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखा है।
वहीं, बीबीसी और द गार्डियन जैसे पश्चिमी मीडिया में सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना भी देखने को मिली है, विशेषकर मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों पर। कुछ रिपोर्ट्स में मोदी सरकार पर अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असंवेदनशीलता और प्रेस की स्वतंत्रता पर नियंत्रण के आरोप भी लगाए गए हैं। फिर भी, समग्र दृष्टि से, वैश्विक मीडिया भारत को एक मजबूत, आत्मनिर्भर और वैश्विक नेता के रूप में उभरते हुए देख रही है, और यह उम्मीद भी जता रही है कि भारत का नेतृत्व वैश्विक शांति और स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भविष्य की दिशा
भारत की भू-राजनीति में हाल के परिवर्तनों से स्पष्ट है कि देश एक स्वतंत्र नीति का अनुसरण कर रहा है, जो न केवल उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी एक मजबूत पहचान भी बना रही है। चाहे वह अमेरिका-कनाडा के साथ उसके रिश्ते हों, या रूस और चीन के साथ उसका संतुलन, भारत ने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखते हुए हर पक्ष के साथ अपने हितों को साधने की कोशिश की है।
BRICS में उसकी सक्रियता और विस्तारशील नीति यह संकेत देती है कि भारत न केवल एक क्षेत्रीय शक्ति है बल्कि एक वैश्विक शक्ति बनने की राह पर अग्रसर है। आने वाले वर्षों में, इन नीतियों के साथ भारत अपनी वैश्विक भूमिका को और अधिक मजबूती से स्थापित कर सकता है, जिससे देश को वैश्विक स्थिरता और विकास में एक नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।