उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच संबंधों में सत्ता का एक अनोखा समीकरण है। इस समीकरण में जहां आक्रामकता और आपसी विश्वास का खेल चलता है, वहीं योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सुशासन और विकास के कई नए आयाम जुड़े हैं। हाल ही में योगी आदित्यनाथ से SPG सुरक्षा हटाए जाने के मुद्दे ने इस तिकड़ी के संबंधों में तनाव को और बढ़ा दिया है। आइए जानते हैं इस तिकड़ी के बीच शक्ति संतुलन का समीकरण, योगी की उपलब्धियाँ और उनकी ‘यूपी मॉडल’ की तुलना ‘मोदी के गुजरात मॉडल’ से।
योगी आदित्यनाथ का सुशासन और विकास का सफर
उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सुधारात्मक कदम उठाने शुरू किए। योगी सरकार की कई प्रमुख उपलब्धियाँ और उनकी कार्यशैली ने जनता के बीच एक मजबूत छवि बनाई है।
योगी सरकार की प्रमुख उपलब्धियाँ
1. कानून व्यवस्था में सुधार:
- आंकड़े: 2017 से 2023 के बीच उत्तर प्रदेश में गंभीर अपराधों में 40% तक की कमी आई है।
- बदलाव: एनकाउंटर पॉलिसी और अपराधियों पर सख्ती ने राज्य को अपराध मुक्त बनाने में योगदान दिया है। संगठित अपराध पर अंकुश लगाने के लिए लगभग 10,000 से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है।
2. औद्योगिक निवेश में बढ़त:
- विवरण: 2023 के अंत तक उत्तर प्रदेश में लगभग 35,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ। उत्तर प्रदेश ने 2022 में अपना पहला ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित किया, जिसमें 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
- परिणाम: इस निवेश से 10 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने का अनुमान है।
3. बुनियादी ढाँचे का विकास:
- हाईवे और एक्सप्रेसवे: योगी सरकार ने राज्य में कई प्रमुख एक्सप्रेसवे जैसे गंगा एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू किया है।
- एयरपोर्ट्स: उत्तर प्रदेश में नए हवाई अड्डों के निर्माण के साथ राज्य देश में सबसे अधिक संख्या में एयरपोर्ट वाला राज्य बनता जा रहा है।
4. स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार:
- स्वास्थ्य: योगी सरकार ने हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना पर काम किया है। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत 1 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा मिला है।
- शिक्षा: राज्य में 77,000 से अधिक शिक्षक भर्ती की गई, और सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढाँचे में सुधार किया गया।
महिलाओं के लिए सुरक्षा और योजनाएँ
योगी सरकार ने महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा योजना "मिशन शक्ति" को लागू किया है, जिससे राज्य में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार हुआ है। "महिला हेल्पलाइन 1090" का विस्तार किया गया है और महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
योगी का ‘यूपी मॉडल’ बनाम मोदी का ‘गुजरात मॉडल’: तुलना
योगी आदित्यनाथ का 'यूपी मॉडल' और नरेंद्र मोदी का 'गुजरात मॉडल' विकास की दृष्टि से भले ही समान दिखाई देते हैं, लेकिन दोनों की कार्यशैली और प्राथमिकताओं में बड़ा अंतर है।
1. आर्थिक विकास
- गुजरात मॉडल: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात मॉडल का मुख्य फोकस बड़े उद्योगों और बाहरी निवेश को आकर्षित करने पर था। गुजरात में औद्योगिक नीति ने भारी विदेशी निवेश और निजीकरण को प्रोत्साहित किया।
- यूपी मॉडल: योगी आदित्यनाथ का यूपी मॉडल ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देता है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से 1.6 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव हासिल करना इस बात का प्रमाण है कि यूपी मॉडल ने आर्थिक विकास में गुजरात के रास्ते पर चलते हुए अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुरूप बदलाव किए हैं।
2. कानून और व्यवस्था
- गुजरात मॉडल: मोदी के शासनकाल में गुजरात में भी कानून व्यवस्था को सख्त किया गया था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने यूपी में कानून व्यवस्था सुधार को एक नए स्तर पर पहुँचा दिया है।
- यूपी मॉडल: योगी सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर पॉलिसी अपनाई गई, जो अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के लिए प्रसिद्ध हुई। 2023 तक, योगी सरकार ने 10,000 से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी की और 2,000 से अधिक मुठभेड़ों में अपराधियों को घेरा।
3. महिला सशक्तिकरण
- गुजरात मॉडल: मोदी सरकार में महिला सशक्तिकरण के लिए भी कई योजनाएँ चलाई गई थीं।
- यूपी मॉडल: योगी सरकार ने 'मिशन शक्ति' अभियान के माध्यम से महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। मिशन शक्ति अभियान के तहत महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी गई, जिसमें 1090 महिला हेल्पलाइन जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
4. आधारभूत संरचना और परिवहन
- गुजरात मॉडल: गुजरात में एसजी हाईवे और गिफ्ट सिटी जैसे कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए गए थे।
-यूपी मॉडल: योगी सरकार ने एक्सप्रेसवे निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जैसे कई प्रोजेक्ट्स यूपी के परिवहन को सशक्त बना रहे हैं। यूपी सरकार ने सबसे अधिक हवाई अड्डे वाला राज्य बनने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
मोदी-शाह के साथ संबंधों में तनाव
प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ योगी आदित्यनाथ के संबंधों में हाल ही में कुछ खटास देखने को मिली है। योगी से SPG सुरक्षा हटाने का निर्णय अमित शाह की ओर से लिया गया था, जिसे कई विश्लेषक योगी के प्रति शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखते हैं। SPG सुरक्षा हटाने का निर्णय भाजपा के भीतर एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि पार्टी के भीतर कोई भी स्वतंत्रता से कार्य नहीं कर सकता।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि योगी की स्वतंत्र छवि और उग्र कार्यशैली मोदी-शाह के केंद्रीकृत नियंत्रण की नीति के लिए चुनौती पेश करती है, जिससे पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन बनाए रखने की जरूरत बनी हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच संबंध एक अनोखे संतुलन और चुनौती से भरे हुए हैं। योगी आदित्यनाथ का ‘यूपी मॉडल’ जहाँ विकास और कानून व्यवस्था में बेहतरी का प्रतीक बन रहा है, वहीं मोदी का ‘गुजरात मॉडल’ बड़े उद्योगों और आर्थिक सुधारों पर केंद्रित था। आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में यह देखने योग्य होगा कि यह संबंध किस प्रकार विकसित होते हैं, और योगी आदित्यनाथ अपनी स्वतंत्र छवि को किस तरह बनाए रखते हैं।
योगी की नेतृत्व क्षमता और उनका ‘यूपी मॉडल’ उत्तर प्रदेश के विकास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, लेकिन यह देखने योग्य होगा कि क्या वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ सामंजस्य बिठाते हुए अपनी छवि को कायम रख पाएँगे।